भूखे हो? हाथ खाली हैं?
जिनके हाथ भरे हैं उनसे लो, छीनो, खाओ,
कोई पाप न लगेगा।
घबराओ मत, भूख तुम्हें सारे अधिकार देती है ।
जीने का अधिकार सबको है,
सबका बराबर अधिकार है ।
भूखों! उठ्ठो!
खा जाओ समाज में फैली सारी असमानताओं को।
धर्म, नारी-मुक्ति, दलित-मुक्ति के नाम पर
राजनितिक व्यापार करने वालों,
राजनितिक व्यापार करने वालों,
पहले क्षुधा-मुक्ति दिलाओ,
नहीं तो एक दिन यही भूख तुम्हें निगल जायेगी,
खा जायेगी तुम्हारी सत्ता को।
और डार्विन, एक दिन भगत फिर पैदा होगा
और तेरे उस "सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट" वाले
कुरूप सत्य को झुठला कर चला जायेगा। – प्रकाश 'पंकज'